Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
एक अधिकारी के अनुसार, शुभेंदु ने पहले ही सूचित कर दिया था कि वे बैठक में उपस्थित नहीं रहेंगे
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार ने सूचना आयोग में दो नए सदस्यों की नियुक्ति को मंजूरी दी। इनमें पूर्व आईआरएस अधिकारी और राज्य के डीजीपी राजीव कुमार की पत्नी संचित कुमार तथा पुरुलिया के पूर्व सांसद मृगांको महतो का नाम शामिल है। हालांकि, इस चयन प्रक्रिया में विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भाग नहीं लिया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चटर्जी की मौजूदगी में चयन समिति की बैठक में इन नामों को अंतिम रूप दिया गया। हालांकि, समिति के तीसरे सदस्य शुभेंदु अधिकारी ने बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। एक अधिकारी के अनुसार, शुभेंदु ने पहले ही सूचित कर दिया था कि वे बैठक में उपस्थित नहीं रहेंगे।
एक अधिकारी ने गुरुवार को बताया कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत राज्य सूचना आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के लिए मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक मंत्री की समिति बनाई जाती है।
संचिता कुमार 1990 बैच की आईआरएस अधिकारी रह चुकी हैं। उन्होंने कुछ वर्ष पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली थी। वे आयकर आयुक्त के पद पर कार्यरत थीं। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने 2019 में वीआरएस लिया था, जब सीबीआई ने सारदा चिटफंड घोटाले की जांच के दौरान उनके पति राजीव कुमार के कोलकाता स्थित आवास पर छापा मारा था। उस समय राजीव कुमार कोलकाता पुलिस आयुक्त थे और उन पर आरोप था कि विशेष जांच दल (एसटीएफ) प्रमुख रहते हुए उन्होंने सबूतों को नष्ट किया और आरोपितों से साठगांठ की।
राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, आयोग के दो पदों के लिए कुल 10 नामों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इन सभी नामों पर चर्चा के बाद अंततः संचित कुमार और मृगांको महतो को चुना गया।
पश्चिम बंगाल उन शुरुआती राज्यों में से एक है, जिसने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के लागू होने के तुरंत बाद सूचना आयोग की स्थापना की थी। इससे पहले, 2023 में राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी वीरेंद्र को पांच साल के लिए मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया था।